नमस्कार दोस्तों, आज हम इस लेख में जानेंगे की Blockchain क्या है ,कैसे काम करता है ,महत्वपूर्ण features ,इसके फायदे और नुकसान क्या है। इस blog को बहुत ही आसान शब्दों में लिखा गया है | तो बिना आपका समय बर्बाद किए ,चलिए जानते हैं Blockchain क्या होता है |
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ToggleBlockchain (ब्लॉकचेन) क्या है।
इसे ऐसा समझो कि, जैसे आप एक कि एक दुकान है, तो आप अपनी दुकान का पुरा हिसाब रखते हो कि दुकान मे कब कितना सामान आया, किससे मंगाया,अभी कितना सामान रखा है, कितना और मंगाना है वगैरा-वगैरा ये तमाम चीजो का हिसाब आप एक बहीखाता (ledger) मे लिखते हो ठीक इसी प्रकार Blockchain काम करता है।
Blockchain एक डिजिटल लेज़र है जो डिसेंट्रलाइज़्ड होता है। इसका मुख्य उद्देश्य डिजिटल लेन-देन को , या अन्य किमती data का सुरक्षित तरीके से रिकॉर्ड रखना है। इसमें लेन-देन (अर्थात् डिजिटल रिकॉर्ड) एक चेन या पंक्ति में एक दूसरे से जुड़े होते हैं, जिसे “ब्लॉक्स” (Blocks) के रूप में जाना जाता है। हर ब्लॉक, एक या एकाधिक लेन-देन को प्रतिस्थापित करता है और एक अद्वितीय क्रिप्टोग्राफिक हैश (Unique Cryptographic Hash) के साथ पिछले ब्लॉक से लिंक होता है।
यानि Blockchain भी एक बहीखाता कि तरह है, जिसमें प्रत्येक डिजिटल रिकॉर्ड एक Block है। और Blockchain मतलब प्रत्येक Block यानि रिकॉर्ड कि एक chain बनाती है।
यह Block कैसे काम करते है क्या Information रखते है
सबसे पहले आता है फिर तमाम ब्लॉक्स जो इसके बाद आते है :
Genesis Block (जेनेसिस ब्लॉक):
जब भी कोई नया ब्लॉकचेन नेटवर्क शुरू होता है, तो पहला ब्लॉक जो उत्पन्न होता है, उसे “जेनेसिस ब्लॉक” कहा जाता है। यह ब्लॉक सिर्फ एक ही ब्लॉकचेन में होता है और इसके पास पिछले ब्लॉक का हैश नहीं होता क्योंकि यह सिर्फ आरंभिक ब्लॉक होता है। इसमें ब्लॉकचेन नेटवर्क की शुरुआत से जुड़ी अहम जानकारी होती है और यह ब्लॉकचेन की नींव होता है।
Block (ब्लॉक):
एक ब्लॉक ब्लॉकचेन में एक समय सीमा (timestamp) ,पिछले ब्लॉक का हैश, अपना हैश, और ट्रांजैक्शन्स की सूची को शामिल करता है।
Timestamp (समय सीमा): यह बताता है कि ब्लॉक कब बना गया था।
Previous Block’s Hash (पिछले ब्लॉक का हैश): यह उन्हें जोड़ने में मदद करता है ताकि ब्लॉकचेन में ब्लॉक्स की एक रूपरेखा बन सके।
Own Hash (खुद का हैश): इसमें ब्लॉक के सभी डेटा का हैश शामिल होता है, जिसे करने के लिए कार्य प्रमाण (Proof of Work) का उपयोग किया जाता है।
Transactions (ट्रांजैक्शन्स): इसमें सभी ट्रांजैक्शन्स की सूची होती है। जिन्हें माइनर्स के द्वारा सत्यापित किया गया है।
ब्लॉक्स की सीधी रूपरेखा बनाने के लिए पिछले ब्लॉक का हैश और खुद का हैश Proof of Work द्वारा प्राप्त किया जाता है, जो एक कठिन कार्य है और माइनिंग प्रक्रिया में शामिल होता है। इससे ब्लॉकचेन में हर ब्लॉक की सुरक्षा बनी रहती है और बदलावों को रोका जा सकता है।
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी कैसे काम करता है ?
ट्रांजैक्शन बनाना: किसी भी व्यक्ति ने कोई भी सौदा किया, उदाहरण के लिए बिक्री या खरीददारी। इस ट्रांजैक्शन को बनाते समय, इसका डेटा एक ब्लॉक में जोड़ा जाता है।
हैश बनाना: ट्रांजैक्शन डेटा को एक विशिष्ट अल्गोरिदम का उपयोग करके हैश में बदला जाता है। हैश एक अनोखा (unique) स्ट्रिंग है जो इस ट्रांजैक्शन को प्रतिनिधित्व करता है।
पिछले ब्लॉक का हैश शामिल करना: इस नए ब्लॉक में, पिछले ब्लॉक का हैश शामिल किया जाता है, जिससे ब्लॉक चेन बनती है। यह ब्लॉक चेन सभी पहले के ब्लॉक्स को सुरक्षित रूप से जोड़ती है।
कार्य प्रमाण (Proof of Work): नए ब्लॉक को बनाने के लिए, कंप्यूटरों को कार्य प्रमाण के रूप में एक कठिन समस्या को हल करना होता है। यह कार्य प्रमाण से सुनिश्चित होता है कि नया ब्लॉक बनाने में समय और ऊर्जा खर्च हो रहा है, जिससे ब्लॉक चेन को सुरक्षित बनाया जाता है।
डिस्ट्रिब्यूटेड नेटवर्क: ब्लॉकचेन नेटवर्क में कई कंप्यूटर नोड्स होते हैं, जो ब्लॉक चेन की सभी कॉपी रखते हैं।ब्लॉकचेन नेटवर्क डिस्ट्रिब्यूटेड होता है, जिसका मतलब है कि सभी कंप्यूटर नोड्स ब्लॉकचेन का एक कॉपी रखते हैं और इसमें शामिल होने वाले सभी ट्रांजैक्शन्स की जानकारी को साझा करते हैं।
कॉन्सेंस मेकिंग: नए ब्लॉक को ब्लॉकचेन में जोड़ने के लिए नेटवर्क के सभी सदस्यों के बीच सहमति की आवश्यकता होती है। सभी कंप्यूटरों को मिल कर यह सुनिश्चित किया जाता है कि ब्लॉक वास्तविक है और इसमें कोई छल नहीं है। मतलब कि ब्लॉकचेन में नए ब्लॉक को चेन में जोड़ने के लिए कॉन्सेंस मेकिंग प्रोटोकॉल का उपयोग किया जाता है, कोई भी बदलाव या ट्रांजैक्शन केवल जब सभी नोड्स में मान्यता प्राप्त होती है, तब ही मान्य होता है।
ब्लॉकचेन का मुख्य फायदा यह है कि यह टैम्पर-प्रूफ (संशोधित नहीं जा सकने वाला) होता है। जब एक लेन-देन एक बार एक ब्लॉक में रिकॉर्ड हो जाती है, तो इसे बदलना या हटाना बेहद मुश्किल हो जाता है, क्योंकि हर ब्लॉक पिछले ब्लॉक का क्रिप्टोग्राफिक हैश लेकर पिछले ब्लॉक से लिंक होता है और इस तरीके से पूरी चेन के सभी ब्लॉक्स की अखंडता को बनाए रखता है।
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ब्लॉकचेन के कुछ महत्वपूर्ण features और यूज़ केस हैं:
Cryptocurrency: बिटकॉइन और इथेरियम जैसी डिजिटल करेंसीज ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग करके बनाई गई हैं। ये करेंसीज डिजिटल लेज़र पर लेन-देन को रिकॉर्ड करती हैं।
Smart Contracts: ब्लॉकचेन स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स को सपोर्ट करता है, जो स्वयं क्रियाशील कॉन्ट्रैक्ट्स होते हैं। ये कॉन्ट्रैक्ट्स खुद ही विशेष शर्तों को पूरा करते हैं, और इसमें तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं होती। ये समझलो की ,स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स में सरकार की आवश्यकता नहीं होती है। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स ब्लॉकचेन तकनीक का एक उपयोग है, और इन्हें कंप्यूटर प्रोग्रामिंग द्वारा स्वचालित किया जाता है। इसलिए ये कॉन्ट्रैक्ट्स बिना किसी मानव हस्तक्षेप के काम करते हैं और सरकार या किसी तृतीय पक्ष की आवश्यकता नहीं होती है।
Supply Chain Management: ब्लॉकचेन सप्लाई चेन मैनेजमेंट में भी काम आता है, क्योंकि यह उत्पादों के हर चरण के लेन-देन को ट्रैक करने में मदद करता है, जिससे पारदर्शिता और जवाब देही बनी रहती है।
Voting Systems: ब्लॉकचेन तकनीक वोटिंग सिस्टम में भी उपयोग हो सकती है, क्योंकि यह वोट्स को सुरक्षित और टैम्पर-प्रूफ तरीके से रिकॉर्ड करने में मदद करता है।
Healthcare: मेडिकल रिकॉर्ड्स और रोगी डेटा को सुरक्षित तरीके से स्टोर करने के लिए भी ब्लॉकचेन का उपयोग किया जा सकता है।
इन्हें भी जाने
डिजिटल लेज़र (Digital Ledger) क्या होता है।
डिजिटल लेज़र एक इलेक्ट्रॉनिक जानकारी स्टोरेज सिस्टम होता है जो डिजिटल डेटा को सुरक्षित तरीके से रिकॉर्ड रखने के लिए डिज़ाइन किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य डेटा की अखंडता, सुरक्षा, और प्रासंगिकता को सुनिश्चित करना होता है। डिजिटल लेज़र अक्सर ब्लॉकचेन तकनीक का हिस्सा होता है, लेकिन यह केवल ब्लॉकचेन से ही सीमित नहीं होता है, और इसका उपयोग अन्य सिस्टम और एप्लिकेशन्स में भी किया जा सकता है।
डिजिटल लेज़र के मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हो सकती हैं:
सुरक्षित रिकॉर्ड: डिजिटल लेज़र में डेटा को क्रिप्टोग्राफिक तरीके से सुरक्षित रूप से रिकॉर्ड किया जाता है, जिससे इसकी सुरक्षा बनी रहती है।
ट्रांजैक्शन की ट्रैकिंग: यह ट्रांजैक्शन्स की विस्तृत रिकॉर्ड रखने में मदद करता है, जिससे किसी डिजिटल लेज़र पर हुई सभी क्रियाएँ पूरी तरीके से ट्रैक की जा सकती हैं।
डेसेंट्रलाइजेशन: कुछ डिजिटल लेज़र्स डेसेंट्रलाइज्ड होते हैं, जिसका मतलब है कि इनमें कोई केंद्रीय अथॉरिटी नहीं होती, और इन्हें बहुत सारे संघटनाओं द्वारा संचालित किया जा सकता है।
इसके अलावा, डिजिटल लेज़र्स कई उद्योगों में उपयोग किए जाते हैं, जैसे कि वित्त, संचयन, सप्लाई चेन, स्टॉक मैनेजमेंट, और बहुत कुछ। इनसे काम करने के तरीके विभिन्न हो सकते हैं, लेकिन इनका मुख्य लक्ष्य हमेशा डिजिटल डेटा को सुरक्षित और स्टोर करना होता है।
डिसेंट्रलाइज्ड (Decentralized) क्या होता है।
ब्लॉकचेन डिसेंट्रलाइज्ड होता है, इसका मतलब है कि इसमें एक केंद्रीय प्राधिकृति नहीं होती, जैसे कि बैंक या सरकार। इसकी सुरक्षा और पारदर्शिता आज की डिजिटल दुनिया में इसे शक्तिशाली बनाती है। हालांकि, ब्लॉकचेन तकनीक भी अपने चुनौतियों और सीमाओं के साथ आती है, जैसे कि स्केलेबिलिटी और ऊर्जा की खपत।
- इसमें किसी एक केंद्रीय अथॉरिटी या संगठन की आवश्यकता नहीं होती है। इसका अर्थ होता है कि डिसेंट्रलाइज्ड सिस्टम में सभी डेटा और निर्णय साझा किए जाते हैं और नेटवर्क के प्रत्येक सदस्य को बराबरी का हक होता है।
- एक साधारण उदाहरण डिसेंट्रलाइजेशन के लिए है आपके दिमाग की तरह काम करने वाला पी2पी (Peer-to-Peer) फ़ाइल शेयरिंग सिस्टम होता है, जैसे कि Torrent , इसमें एक सेंट्रल सर्वर की आवश्यकता नहीं होती है, और उपयोगकर्ता से उपयोगकर्ता को फ़ाइल साझा कर सकता है।
क्रिप्टोग्राफिक हैश (Cryptographic Hash) क्या होता है।
- क्रिप्टोग्राफिक हैश (Cryptographic Hash) एक प्रकार की डिजिटल सिग्नेचर होती है, जो किसी डेटा (जैसे कि टेक्स्ट या फ़ाइल) को एक लंबी संख्या या बाइट्स की तरह छोटे एक मुख्य कोड (hash code) में बदल देती है। इस मुख्य कोड को हैश कहा जाता है।
"टैम्पर-प्रूफ" (Tamper-Proof) क्या होता है।
- “टैम्पर-प्रूफ” (Tamper-Proof) जिसे ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में बहुत अधिक महत्व दिया जाता है। इसका मतलब है कि एक बार जब कोई डेटा ब्लॉकचेन में शामिल होता है, तो उसे परिवर्तित करना या हटाना असंभव हो जाता है।
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ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के फायदे और नुकसान
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के कई फायदे और नुकसान हो सकते हैं:
फायदे (Advantages):
सुरक्षा (Security): ब्लॉकचेन एक सुरक्षित और टैम्पर-प्रूफ तरीके से डेटा को संरक्षित करता है। हर ट्रांजेक्शन को क्रिप्टोग्राफिक रूप से सुरक्षित किया जाता है और पूरी चेन के डेटा को मान्यता दिलाने के लिए पूरी चेन का एक प्रतिक्रियाशील हैश होता है।
डेसेंट्रलाइजेशन (Decentralization): ब्लॉकचेन डेसेंट्रलाइज्ड होता है, जिसका मतलब है कि इसमें कोई केंद्रीय अथॉरिटी नहीं होती, जैसे कि बैंक या सरकार। इससे सिस्टम को सुरक्षित बनाने और सिंगल पॉइंट ऑफ फेल्योर (SPOF) को रोकने में मदद मिलती है।
पारदर्शिता (Transparency): ब्लॉकचेन पर सभी ट्रांजेक्शन्स पूरी चेन के सभी के लिए पूरी तरह से दिखाई देते हैं। इससे जानकारी की पूरी तरह से पारदर्शिता बनी रहती है और दुर्भाग्यवश, जानकारी को बदलना या छिपाना मुश्किल होता है।
स्वचालित स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स (Automated Smart Contracts): ब्लॉकचेन पर स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स का उपयोग करके निर्दिष्ट शर्तों के अनुसार डेटा और वित्तीय लेन-देन को स्वचालित किया जा सकता है, जिससे हानिकारक या अपवाद दर्जनीय तरीके से रोका जा सकता है।
नुकसान (Disadvantages):
स्केलेबिलिटी (Scalability): वर्तमान में, ब्लॉकचेन प्लेटफ़ॉर्म्स की स्केलेबिलिटी में चुनौतियां हैं। इसका मतलब है कि वे बड़ी मात्रा में ट्रांजेक्शन्स को एक साथ प्रोसेस नहीं कर सकते हैं।
ऊर्जा खपत (Energy Consumption): ब्लॉकचेन के कुछ प्रकार (बिटकॉइन माइनिंग जैसे) ऊर्जा की अधिक खपत कर सकते हैं, जिससे ऊर्जा संकट की संभावना हो सकती है।
कानूनी और नैतिक मुद्दे (Legal and Ethical Issues): स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स के उपयोग के कानूनी और नैतिक पहलू हो सकते हैं, जैसे कि गुमराही, या न्यायिक संघर्ष के मामले।
लिमिटेशन्स ऑफ टेक्नोलॉजी (Technology Limitations): ब्लॉकचेन तकनीक के अपने विशिष्ट प्रतिबंध और सीमाएँ होती हैं, और कई विभिन्न उद्योगों और उपयोगों के लिए उपयुक्त नहीं हो सकती हैं।
ब्लॉकचेन का उपयोग करने के फायदे और नुकसान स्थायी रूप से उपयोगकर्ता और उद्योग के आवश्यकताओं पर निर्भर करते हैं ।
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Blockchain और Bitcoin Technology का आविष्कार किसने किया?
ब्लॉकचेन तकनीक का आविष्कार “सतोशी नाकामोटो” (Satoshi Nakamoto) नामक व्यक्ति या समूह द्वारा सन् 2009 में किया गया था, हालांकि इस नाम के पीछे कौन है, यह अज्ञात है और Satoshi Nakamoto गूगल या अन्य वेब स्रोतों पर पूरी तरह से अनदेखा है। लेकिन इस नाम के पीछे व्यक्ति की असली पहचान नहीं पता चली है। Satoshi Nakamoto ने बिटकॉइन और उसके ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी का निर्माण किया था। इसके परिणामस्वरूप, वे डिजिटल मुद्रा और डिजिटल लेन-देन को सुरक्षित और आत्मनिर्भर बनाने वाले एक नई प्रौद्योगिकी की शुरुआत करने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने ब्लॉकचेन के सिस्टम को डिजिटल हस्ताक्षर, क्रिप्टोग्राफी, और पी2पी नेटवर्क का संयोजन किया, जिससे डिजिटल लेन-देन को सुरक्षित और पारदर्शी तरीके से संचालित किया जा सकता है।
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समाप्ति
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