Diabetes
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मधुमेह क्या है – Diabetes

14 नवम्बर ,विश्व डायबिटीज जागरूकता दिवस पर एक लोगो है।

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 परिचय :

1. सर्वप्रथम डायबिटीज का मामला कहा गया था ?

  • डायबिटीज का मामला 1550 ई. मे मिस्र (Egypt) मे पाया गया और भारत मे आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार 6ठी शताब्दी पूर्व मे
    मधुमेह का वर्णन मिलता है।

2. डायबिटीज क्या है ?

  • यह एक प्रकार का मेटाबोलिक डिसऑर्डर है।डायबिटीज का मुख्य कारण अग्न्याशय (पैंक्रियास) मे इंसुलिन कि कमी होना होता है। हमारे शरीर में रक्त नलिकाएं ग्लूकोज और इंसुलिन को एक साथ लेकर चलती हैं। इंसुलिन कि कमी के कारण शरीर में केवल ब्लड मे ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है और ग्लूकोज कोशिकाओं को नहीं मिल पाता है जिससे शरीर की कोशिकाओं को पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा नहीं मिल पाती और ग्लूकोज़ मूत्र के रास्ते बाहर निकल जाता है।

3. डायबिटीज कितने प्रकार का होता है ?

डायबिटीज के 2 प्रकार होते है।

  • टाइप 1 डायबिटीज : यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है यानि इसमे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ कोशिकाओं या अग्नाशय में इंसुलिन बनाने वाली बीटा कोशिकाओं को नष्ट कर देती है जिससे रक्त में शूगर कि मात्रा बढ़ने लगती है। इस कारण अग्न्याशय मे बहुत कम मात्रा मे इंसुलिन बनाता है या नहीं बनाता । यह एक प्रकार कि अनुवांशिक बीमारी है। यह आमतौर पर बच्चो एवं युवाओं मे देखने को मिलती है ।

  • टाइप 2 डायबिटीज : इसे गैर-इंसुलिन निर्भर डायबिटीज मेलिटस ‘’(NIDDM)’’ या वयस्कता में शुरु होने वाली डायबिटीज भी कहा जाता था । यह एक चयापचयन या उपापचयन (metabolism) विकार है। यह सबसे आम प्रकार की डायबिटीज है जिसमें शरीर इंसुलिन का ठीक से उपयोग नहीं कर पाता है जो ज्यादातर व्यस्को मे देखने को मिलती है। इसमें लक्षण या संकेत आमतौर पर धीरे-धीरे विकसित होते हैं।

डायबिटीज के संक्रमण :

  • डायबिटीज के रोगियो मे अन्य संक्रमण जैसे त्वचा संक्रमण, यकृत संक्रमण,फंगल संक्रमण,खमीर संक्रमण,वायरल संक्रमण,बैक्टीरिया संक्रमण,मूत्राशय और गुर्दे संक्रमण एवं निमोनिया इत्यादि संक्रमणो का खतरा अधिक बढ जाता है यानि चयापचयन या उपापचयन (metabolism) के कारण शरीर इतना कमजोर हो जाता है कि डायबिटीज का रोगी इन घातक बीमारियों कि चपेट मे आसानी से आ जाता है।

डायबिटीज के लक्षण या संकेत :

विशेषज्ञो के अनुसार डायबिटीज का मुख्य कारण खराब भोजन, अत्यधिक तनाव और बिगड़ता लाईफस्टाइल जिमेदार होता है।डायबिटीज रोगियों मे यदि बल्ड शूगर लेवल 300-400 से उपर चला जाए तो स्थिती गंभीर मानी जाती है। इसमे रोगी कि मृत्यु कि संभावना बढ जाती है।

टाइप 1 डायबिटीजटाइप 2 डायबिटीज
प्यास लगनाबहुत अधिक प्यास लगना
भूख लगनाभूख में वृद्धि
बार-बार पेशाब आनाबार-बार पेशाब आना
थकानपसीना आना
धुंधला दिखाई देनाकंपकंपी
त्वचा पर लाल चकत्तेघावों का धीरे-धीरे भरना
वजन कम होनाचिड़चिड़ापन
 थकान

 

डायबिटीज का उपचार :

डायबिटीज एक बेहद गंभीर बीमारी है। इसका कोई परमानेंट इलाज नही है इसे सिर्फ कंट्रोल किया जा सकता है।

घरेलु उपचार →

  • स्वस्थ आहार: डायबिटीज के रोगियों को अपने आहार में फाइबर, प्रोटीन, साबुत अनाज, फल और हरी सब्जी, नट्स और बीज आदि को शामिल करना चाहिए जो रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद कर करते है।

  • व्यायाम: डायबिटीज के रोगियों को कम से कम 30 मिनट के मध्यम-तीव्रता वाले व्यायाम को सप्ताह में कम से कम पांच बार करना चाहिए।

  • तनाव कम करना: तनाव रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ा सकता है। डायबिटीज के रोगियों को तनाव को कम करने के लिए योग, ध्यान या अन्य आराम तकनीकों का अभ्यास करना चाहिए।

कुछ विशिष्ट जड़ी-बूटियों और खाद्य पदार्थों को भी डायबिटीज के इलाज में मददगार माना जाता है।

  • जामुन की गुठली: जामुन की गुठली में एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं। जो रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद कर सकते हैं।

  • गिलोय: गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो इंसुलिन के उत्पादन को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।

  • तुलसी: तुलसी में एंटी-डायबिटिक और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं।

  • करेला: करेले में कैरेटिनॉयड्स होते हैं जो रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।

  • नींबू: नींबू में विटामिन सी होता है जो रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है।

चिकित्सक उपचार →

  • इंसुलिन इंजेक्शन: यह डायबिटीज के इलाज का सबसे प्रभावी तरीका है। यह इंसुलिन इंजेक्शन उन लोगों के लिए आवश्यक होते हैं जिनका शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनाता है।

  • जीवनशैली में बदलाव: स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम और वजन कम करना डायबिटीज के इलाज और नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

  • Glp-1: ये दवाएं रक्त शर्करा को कम करने में मदद करती हैं और वजन कम करने में भी मदद कर सकती हैं।

  • SGLT-2 अवरोधक: ये दवाएं टाइप 2 रोगियों के लिए रक्त शर्करा को कम करने में मदद करती हैं और वजन कम करने में भी कारगर होती है।

डायबिटीज के विशेषज्ञ :

  • डायबिटीज के विशेषज्ञ को डायबेटोलॉजीस्ट,एंडोक्राइनोलॉजिस्ट या डाइटिशियन कहा जाता है।

  • डायबिटीज के इलाज मे आप किसी सामान्य फ़िज़िशियन से भी सलाह ले सकते है।

डायबिटीज की सावधानियां या बचाव के उपाय :

  1. स्वस्थ आहार:
  • नियमित खानपान का पालन करें और अच्छा आहार लें।
  • अनाज, फल, सब्जियां, दूध और दूध से बने उत्पादों को शामिल करें।
  • चीनी, तेल, और तला हुआ खाना कम करें।

     2. नियमित व्यायाम:

  • नियमित रूप से व्यायाम करना डायबिटीज को नियंत्रित रखने में मदद करता है जैसे कि टहलना, साइकिलिंग, या योग।

    3. वजन नियंत्रित रखें:

  • अपने बढते वजन को कंट्रोल मे रखना डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
  • अपने डॉक्टर से सलाह लेकर सही वजन निर्धारित करें और इसे बनाए रखें।

   4. रोजाना निगरानी रखें:

  • ग्लूकोमीटर से अपने रक्त शर्करा स्तर की निगरानी करें और डॉक्टर के सुझाव के अनुसार इंसुलिन या अन्य दवाओं का सही तरीके से उपयोग करें।
  • नियमित अंतराल पर अपने डॉक्टर से मिलें तथा डॉक्टर की जांचों और टेस्टों पर ध्यान दें।

   5. तंबाकू और अल्कोहल से बचें:

  • तंबाकू और अधिक मात्रा में अल्कोहल का सेवन डायबिटीज को बढ़ा सकता है। इन चीजों का सेवन पूरी तरह से बंद कर दे।

   6. समय पर आराम करें:

  • समय- समय पर अच्छी नींद लेना डायबिटीज को नियंत्रित रखने में मदद कर सकता है।

   7. स्ट्रेस कम करें:

  • स्ट्रेस डायबिटीज के लिए हानिकारक हो सकता है। स्ट्रेस के कारण रक्त शर्करा स्तर बढ़ सकता है। अतः व्यक्ति को तनाव नही लेना चाहिए ।

 

यह सुनिश्चित करें कि आप अपने डॉक्टर से नियमित रूप से मिलते रहें और उनके सुझावों का पालन करें।

अवश्य ध्यान दें

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💡 हमारा मकसद सिर्फ आपको सही जानकारी देना है। गंभीर बिमारियों मे आप अपना समय बर्बाद ना करे सर्वप्रथम प्राथमिकता डॉक्टर को ही दे

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